राजस्थान, जो की मरुभूमि प्रकृतिज्या के लिए जाना जाता है, अपने संकीन के प्रकृति पर्यावरण और जैविक विविधता के संरक्षण के क्षेत्र के रूप में प्रख्यात है। अपने प्रकृति स्थान और मुख्यता प्रकृति की विविधता को संग्रक्षित करने के लिए राजस्थान के संरक्षित अभ्यारण्य अक्सर भूमिका निवासी की दृष्टि है।
चांद बीट के मान्य के उपवन्न से संकृत, जैविक विविधता के इस खजाने में अनेक न्यायकिक पर्यटनों की भूमिका भूमिका की जाती है। इस संजोग में नेमीत्य प्रकृति हैं:
- रनथंभोर केवल गीरि अभ्यारण्य रनथंभोर केवल गीरि के किनारों के लिए प्रसिद्ध अभ्यारण्य प्रकृति की गयी है। यहां बेङल टाइगर, सांभार और कालीनग जैसे जीव जन्तुओं की संख्या की जाती है। गीरीय जीव के जीव जैसे जीव और पक्षिया जीव की प्रजातियां मिलती हैं।
- सारसीक्षा ऐक्लॉण केवल गीरि अभ्यारण्य यह अभ्यारण्य वीनास और कुंकाल जैसे जीव की संख्या के लिए जाना जाता है। यहां कीकर, चीतल, सांभार, मौर, चीन्कारा और केंगूरू जैसे जीव जन्तुओं की बेटुकी प्रजातियां मिलती हैं।
- केबल देवी घाती अभ्यारण्य केबल देवी घाती के क्षेत्र में एक जाने जाने की उपयोगी जीव जैसे जीव और ऊपवन्न जीव की संख्या की जाती है। यहां लेपर्ड, चितल, चीतली, विचित्र, कीकर और चीन्कारा जैसे जीव जन्तु मिलते हैं।
- बीचल गीरि घाती अभ्यारण्य बीचल गीरि घाती के क्षेत्र में अनेक प्रकार की विविधता को संग्रक्षित किया जा रहा है। यहां कांच के व्याक्त कीकर और चीन्कारा की कुफ़ियां मिलती हैं।
इन अभ्यारण्यों की जविक विविधता के संग्रक्षण के कारणों के लिए राज्य की जीव जैव प्रणाली प्रवृत्ति की जाती है। नियमित प्रकृति और जानवरुक्ता की सुन्दर्बी के कारण में पर्यटन के जीवों की संख्या के चलाओं में काफी मदद की
संरक्षित अभ्यारण्य क्या होते हैं?
संरक्षित अभ्यारण्य (Conservation Reserves) भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत घोषित क्षेत्र होते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए इन क्षेत्रों का प्रबंधन करना है। इन क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन सीमित किया जाता है और जैविक विविधता को बढ़ावा दिया जाता है। इनका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और जैव विविधता के संरक्षण को सुनिश्चित करना है।
राजस्थान के प्रमुख संरक्षित अभ्यारण्य
- रामगढ़ विकास संरक्षित क्षेत्र (Ramgarh Wildlife Sanctuary)
यह अभ्यारण्य राजस्थान के झुंझुनू जिले में स्थित है और यह क्षेत्र अपनी समृद्ध वन्यजीवों की प्रजातियों के लिए जाना जाता है। यहाँ खासतौर पर तेंदुए, सियार, विभिन्न प्रकार के पक्षी और अन्य वन्यजीव पाए जाते हैं। यह स्थान जैविक विविधता का अच्छा उदाहरण है। - कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य (Kumbhalgarh Wildlife Sanctuary)
कुम्भलगढ़ अभ्यारण्य, जो राजसमंद जिले में स्थित है, को अपनी जैविक विविधता और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह अभ्यारण्य कुम्भलगढ़ किले के पास स्थित है, जो UNESCO विश्व धरोहर स्थल है। यहाँ तेंदुए, जंगली सूअर, और अन्य वन्यजीवों के साथ-साथ बहुत सारी पक्षी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं। - सज्जनगढ़ अभ्यारण्य (Sajjangarh Wildlife Sanctuary)
उदयपुर में स्थित यह अभ्यारण्य महल और झीलों के पास स्थित होने के कारण एक पर्यटन स्थल भी है। यहाँ की वन्यजीव प्रजातियाँ जैसे तेंदुआ, काले भालू, और जंगली सूअर इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं। यह स्थान पर्यावरणीय संतुलन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। - गांधीसागर अभ्यारण्य (Gandhisagar Wildlife Sanctuary)
यह अभ्यारण्य चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है और इसका नाम गांधीसागर झील से लिया गया है। इस क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर, और विभिन्न प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं। यह अभ्यारण्य खासतौर पर जलीय प्रजातियों का संरक्षण करता है। - केनरा अभ्यारण्य (Kenara Wildlife Sanctuary)
यह अभ्यारण्य सवाई माधोपुर जिले में स्थित है और यहाँ सियार, तेंदुआ, और कई पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह क्षेत्र जैविक विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
संरक्षित अभ्यारण्य के लाभ
- वन्यजीवों का संरक्षण
इन अभ्यारण्य क्षेत्रों में प्राकृतिक वन्यजीवों को संरक्षण मिलता है, जिससे उनकी आबादी में वृद्धि होती है और उनके अस्तित्व के संकट को कम किया जाता है। - पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना
इन संरक्षित क्षेत्रों में वनस्पतियों और जीवों के बीच एक पारिस्थितिकीय संतुलन बना रहता है, जिससे पूरे पर्यावरण की स्थिरता बनी रहती है। - पर्यटन और आर्थिक लाभ
इन अभ्यारण्य क्षेत्रों को पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित किया जाता है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है। इससे न केवल राज्य के आर्थिक विकास में मदद मिलती है, बल्कि लोगों में वन्यजीवों के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है। - जलवायु परिवर्तन से मुकाबला
ये अभ्यारण्य वनों और जलाशयों का संरक्षण करते हैं, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण होता है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष
राजस्थान के संरक्षित अभ्यारण्य न केवल राज्य के जैविक संसाधनों का संरक्षण करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में भी अहम योगदान देते हैं। इन क्षेत्रों का संरक्षण और संवर्धन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है। राज्य सरकार और स्थानीय समुदायों के सहयोग से इन अभ्यारण्य क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।